सफल हो कर तुम दिखलाओ
अडचने तो आती हैं राह में
आगे बढ कर दिखलाओ
गलत राह पर अगर चलोगे
काँटे ही होंगे राहों में
फूल अगर तुमको पाना है
सच्चाई से राह बनाओ
अपनी ही तुम कलम उठाओ
और लिखो अपनी परिभाषा
भटक गये जो राह कभी तुम
नही संभल फिर पाओगे
दाग लगी चूनर को तुम
किस दरिया में धो आओगे
ख्वाब कब्र फिर बन जायेंगे
आँसू बन फिर बह जायेंगे
आँखें खोलो भूलो नींदें
अंत हरईक मुश्किल का होगा
संदल बन कर तुम दिखलाओ
सफल हो कर तुम दिखलाओ...
*** रितु रंजन प्रसाद